मास्टर साहेब सावधान, अब सरकारी स्कूलों मे हेडमास्टर साहेब, शिक्षकों व टोला सेवकों की नहीं चलेगी मनमानी, सभी को रहना होगा ऑनलाइन update, जिलाधिकारी खुद से सरकारी स्कूलों का करेंगे निरिक्षण 

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अब सरकारी स्कूलों मे हेडमास्टर साहेब, शिक्षकों व टोला सेवकों की नहीं चलेगी मनमानी, सभी को रहना होगा ऑनलाइन update, जिलाधिकारी खुद से सरकारी स्कूलों का करेंगे निरिक्षण 

बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई से लेकर शिक्षकों के अटेंडेंस तक की मॉनिटरिंग के लिए नयी व्यवस्था प्रभावी की जा रही है. इसके तहत जिला और राज्य दोनों स्तर पर स्कूलों की निगरानी की जाएगी.

शिक्षा विभाग मुख्यालय स्तर से दोनों के जांच रिपोर्ट का मिलान करेगा. अगर इसमें किसी अधिकारी की लापरवाही मिलती है तो उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई भी की जायेगी. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने सभी जिला पदाधिकारियों को इससे संबंधित दिशा निर्देश भेज दिए हैं.

जिलाधिकारी करेंगे निरीक्षण

जारी निर्देश में कहा गया है कि स्कूलों का निरीक्षण प्रत्येक जिले के जिलाधिकारी करेंगे. साथ ही अपने-अपने जिले के अधिकारियों की तरफ से किये जा रहे स्कूलों के निरीक्षण प्रतिवेदन की समीक्षा भी करें. इस दौरान पायी जाने वाली कमियों पर कार्रवाई करने के लिए जिलाधिकारी स्वयं निर्णय लें. साथ ही राज्य स्तर पर की जाने वाली कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी मुख्यालय को प्रस्ताव भेजें. उनके प्रस्ताव पर दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जायेगी.

ई-शिक्षाकोश पोर्टल पर अपलोड हो रही रिपोर्ट

अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने बताया कि जिलों में तैनात आठ हजार अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है. इसके साथ ही राज्य मुख्यालय के अधिकारी भी उन्हें आवंटित जिलों के स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं. हर अधिकारी सप्ताह में कम से कम तीन दिन स्कूल निरीक्षण पर हैं. जिन स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है, उन्हें प्रत्येक जिले के उप विकास आयुक्त द्वारा तीन महीने के लिए 10 से 15 स्कूल दिए गए हैं. निरीक्षण रिपोर्ट ई-शिक्षाकोश पोर्टल पर अपलोड की जा रही है.

  • निरीक्षण के दौरान स्कूलों में उपलब्ध आधारभूत संरचना पर खास नजर रखी जा रही है. इसमें चौक-डस्टर, उपस्कर, शौचालय, पेयजल और वर्गकक्ष की उपलब्धता के साथ प्रयोगशाला, आईसीटी लैब, चहारदीवारी, बिजली व्यवस्था खास तौर पर शामिल है.
  • खेल का मैदान, खेल की सामग्री, इंटरनेट की उपयोगिता एवं सौंदर्यीकरण पर भी गौर किया जा रहा है. यह भी देखा जा रहा है कि बच्चों के पास स्कूल ड्रेस और किताबें हैं या नहीं ? बच्चों को गृहकार्य दिये जा रहे हैं या नहीं. बच्चों का साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, छमाही एवं वार्षिक मूल्यांकन हो रहा है या नहीं , यह भी देखा जा रहा है. कक्षावार नामांकन और वास्तविक उपस्थिति भी देखी जा रही है. यह भी देखा जा रहा है कि मिड डे मील में बच्चों को अंडे और फल दिये जा रहे हैं या नहीं ? भोजन में मेनू का पालन हो रहा है या नहीं ?
  • प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों का पदस्थापन एवं उनकी उपस्थिति के साथ इसकी मॉनिटरिंग भी हो रही है कि घण्टीवार-विषयवार पढ़ाई हो रही है या नहीं ? अनामांकित और बीच में पढ़ाई छोड़ चुके बच्चे स्कूल लाये जा रहे हैं या नहीं, इस पर भी फोकस किया जा रहा है.

 

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