कल हुई नीतीश केबिनेट की बैठक मे कुल 33 एजेंडो पर लगी मोहर, 72 कोलेजो के शिक्षकों का पद हुआ सृजन, शिक्षकों के वेतन मद मे भी राशि के प्रस्ताव पर लगी मोहर 

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कल हुई नीतीश केबिनेट की बैठक मे कुल 33 एजेंडो पर लगी मोहर, 72 कोलेजो के शिक्षकों का पद हुआ सृजन, शिक्षकों के वेतन मद मे भी राशि के प्रस्ताव पर लगी मोहर 

 

नीतीश कैबिनेट की अहम बैठक खत्म, कुल 33 एजेंडों पर लगी सरकार की मुहर; जमीन सर्वे में बड़ी राहत

मुख्यमंत्री सचिवालय के कैबिनेट हॉल में 12:05 बजे से चल रही नीतीश कैबिनेट की अहम बैठक संपन्न हो गई है। कैबिनेट की बैठक में तमाम विभागों के मंत्री मौजूद रहे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विभिन्न विभागों से जुड़े कुल 33 प्रस्तावों पर कैबिनेट की मुहर लगी है।

सरकार ने जमीन सर्वे की अवधि को 6 महीना के लिए बढ़ा दिया है।

दरअसल, विधानसभा चुनाव को देखते हुए नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला ले लिया है। राज्य में जमीन सर्वे को लेकर लोगों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने बड़ी राहत दे दी है। सरकार ने सर्वे की अवधि को बढ़ाने का फैसला लिया है। लैंड सर्वे की टाइम लाइन में वृद्धि कर दी गई है। सरकार ने जमीन सर्वे की डेड लाइन को छह महीने बढ़ा दिया है। सेल्फ डेक्लियशन के लिए मिला 180 कार्य दिवस, रैयत का दावा करने के लिए 60 कार्य दिवस और दावे के निपटारा के लिए 60 कार्य दिवस का समय मिलेगा।

बिहार में भूमि सर्वे को लेकर चल रहे घमासान के बीच विभागीय मंत्री दिलीप जायसवाल ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बड़ा एलान किया था। उन्होंने कहा है कि सर्वे को लेकर बिहार के लोगों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा। मंत्री ने एलान किया था कि सरकार भूमि सर्वे के नियमों में बदलाव करेगी और जल्द ही कैबिनेट में इसको लेकर प्रस्ताव लाया जाएगा।

मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा था कि जबतक बिहार की जनता को सारा कागजात उपलब्ध नहीं करा देंगे, तबतक कोई भी कर्मचारी और पदाधिकारी बिहार की जनता को सर्वे के कारण कोई दिक्कत नहीं देगा। उन्होंने कहा थी कि सरकार जमीन सर्वे में कुल 13 तरह की छूट जाएगी। इसको लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। आज केबिनेट से पास हुए प्रस्ताव में जमीन सर्वे के काम को 6 महीना बढ़ाने की स्वीकृति दी गई लेकिन कुल मिलाकर देखें तो सर्वे के काम को 300 दिनों तक यानी 10 महीना के लिए पेंडिंग पड़ गया है।

सरकार ने जिस तरह से जमीन सर्वे की अवधि को बढ़ाया है, उससे साफ हो गया है कि बिहार में जमीन सर्वे की हवा निकल चुकी है। सरकार ने जिस तरह से आंकड़ों का खेल किया है उससे स्पष्ट हो गया है कि विधानसभा चुनाव से पहले जमीन सर्वे का काम पूरा होने वाला नहीं है। सरकार को अच्छी तरह से पता है कि जमीन सर्वे को लेकर राज्य के लोगों में नाराजगी है और ऐसे हालात में वह चुनाव में किसी तरह का रिस्क उठाने के मूड में नहीं है।

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