एक्शन में शिक्षा विभाग , लापरवाह प्राचार्यों पर विभाग का चला डंडा , 439 प्राचार्यों के वेतन कटौती का उच्च शिक्षा निदेशक ने जारी किया आदेश
एक्शन में शिक्षा विभाग , लापरवाह प्राचार्यों पर विभाग का चला डंडा , 439 प्राचार्यों के वेतन कटौती का उच्च शिक्षा निदेशक ने जारी किया आदेश
नीतीश कुमार के आदेश पर बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधीर करने और गुणवत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से पिछले महीने से सभी सरकारी स्कूलों और कॉलेज कॉलेज की शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रतिदिन मॉनिटरिंग की जा रही है शिक्षा विभाग के अधिकारी कॉलेज में भी आधारभूत संरचनाओं की जांच विद्यार्थियों की उपस्थिति शिक्षकों की उपस्थिति व प्राचार्य द्वारा समय-समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लेने की भी मॉनिटरिंग कर रहे हैं इस बीच उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने 439 महाविद्यालय के प्राचार्य के वेतन पर रोक लगाती है उच्च माध्यमिक निदेशक ने आदेश दिया है कि इन 439 प्राचार्य का 1 नवंबर का वेतन काट लिया जाए प्राचार्य के एक दिन के वेतन काटने की सूचना मिलते ही महाविद्यालय और सरकारी व संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों कर्मचारियों व प्राचार्य के बीच हड़कम्प मच गया है
बिहार में शिक्षा विभाग ने लापरवाह प्राचार्यों पर सख्ती दिखाई और गूगल सीट पर रोजाना सूचना अपडेट नहीं करने वाले 439 प्रिंसिपल्स के वेतन पर चाबुक चलाया है।
जी हां, शिक्षा विभाग ने 439 प्राचार्यों का एकदिन का वेतन रोकने का आदेश सभी कुलसचिवों को दिया है, जिसके बाद से हड़कंप मचा हुआ है। इनमें अंगीभूत कॉलेज के 203 प्राचार्य शामिल हैं, जबकि संबद्ध डिग्री महाविद्यालय के 236 प्राचार्य शामिल हैं।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने संबंधित प्रिंसिपल्स का 1 नवंबर का वेतन रोकने का निर्देश दिया है। उन्होंने कुलसचिवों से कहा है कि रोजाना दोपहर 5 बजे सभी 263 अंगीभूत कॉलेज और 789 संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों के प्राचार्यों के साथ शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारी और अन्य अधिकारी संबंधित समस्याओं पर विमर्श करते हैं और सूचनाओं का संग्रह करते हैं।
आपको बता दें कि बिहार में शिक्षा की बेहतरी के लिए रोजाना गूगल सीट पर सूचनाओं को अपडेट करने का निर्देश दिया गया है। ये काम अक्टूबर के मध्य से ही जारी है। 26 अक्टूबर से उच्च शिक्षा निदेशालय के उपनिदेशकों द्वारा रोजाना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सूचनाओं को अपडेट कर गूगल सीट भरने को कहा जा रहा है लेकिन फिर भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है और भारी लापरवाही बरती जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने ये बड़ा कदम उठाया है।