शिक्षा विभाग ने शिक्षा की गुणवत्ता के लिए पानी की तरह बहाए है रूपया, बिहार मे वर्तमान मे शिक्षा व्यवस्था की ग्राउंड रिपोर्ट की ऐसी है स्थिति
शिक्षा विभाग ने शिक्षा की गुणवत्ता के लिए पानी की तरह बहाए है रूपया, बिहार मे वर्तमान मे शिक्षा व्यवस्था की ग्राउंड रिपोर्ट की ऐसी है स्थिति
Ground Report On Govt Schools: बिहार में सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लाख दावे कर ले, लेकिन ज़मीन पर इसकी हक़ीक़त कुछ और ही है। सरकार के दावों में कितनी सच्चाई है, जानने के लिए वन इंडिया हिंदी की टीम प्रदेश के विभिन्न जिलों में ग्राउंड रिपोर्ट लेने पहुंची।
इसका छोटा से उदाहरण बेगूसराय जिला के नूरपुर गांव के उर्दू उच्चक्रमित अपग्रेडेड स्कूल का नज़ारा आप वीडियो में देख सकते हैं।
सरकार ने पिछले साल ही प्रदेश के कई सरकारी विद्यालयों को अपग्रेड किया और +2 तक की पढ़ाई शुरू की। स्कूल अपग्रेड हो गए लेकिन शिक्षा का स्तर नहीं सुधरा, ऐसा नहीं है कि शिक्षकों ने छात्रों की पढ़ाई से समझौत किया है। बल्कि स्कूल भवन में कक्षाओं की कमी है। एक कक्षा में दो वर्ग के बच्चों को बैठना पड़ रहा है।
वन इंडिया हिंदी की टीम जब ग्राउंड रिपोर्ट लेने पहुंची तो छात्रों ने अपनी परेशानी बताई, उन्होंने कहा कि स्कूल में कमरा नहीं होने की वजह से एक साथ 9वीं और 10वीं दोनों के छात्रों को बैठना पड़ता है। 9वीं के बच्चे पढ़ते हैं तो, 10वीं के बच्चे बैठ रहते हैं।
इससे बच्चों का समय भी बर्बाद होता है, इससे अच्छा स्कूल आये नहीं आये बात बराबर है। क्योंकि पढ़ाई तो हो ही नहीं पाती है। सिर्फ हाज़िरी बनाने के लिए आने होता है। जब पढ़ेंगे नहीं तो परीक्षा में क्या लिखेंगे। स्कूल प्रबंधन को चाहिए कि पहले की तरह दो शिफ्टों में कक्षाओं का संचालन किया जाए।
11वीं के छात्र ने बताया कि जब आर्ट्स की क्लास होती है तो साइंस की नहीं होती है। जब साइंस कि क्लास होती है तो आर्ट्स की नहीं होती है। शिक्षक पढ़ाना भी चाहते हैं तो छात्रों के बैठने के लिए जगह ही नहीं है। इस पूरे मसले पर पीएन ठाकुर प्राधानाध्यापक ने कहा कि विभाग के बता दिया गया है। जो आदेश होगा उसके मुताबिक हम लोग काम करेंगे।