1968 में कोसी में आया था 9.13 लाख क्यूसेक पानी, अक्टूबर में डूब गया था आधा बिहार… फिर से जल प्रलय का वैसा ही संकट, फिर से डूबेगा आधा बिहार, 13 जिलों के लोगो को अपना घर खाली करने का जिला प्रसासन ने जारी किया निर्देश, 72 घंटे मे होंगी बिहार मे कोसी मचाएगी तबाही 

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1968 में कोसी में आया था 9.13 लाख क्यूसेक पानी, अक्टूबर में डूब गया था आधा बिहार… फिर से जल प्रलय का वैसा ही संकट, फिर से डूबेगा आधा बिहार, 13 जिलों के लोगो को अपना घर खाली करने का जिला प्रसासन ने जारी किया निर्देश, 72 घंटे मे होंगी बिहार मे कोसी मचाएगी तबाही 

हार में कोसी और गंडक नदियों के जलप्रवाह में रिकॉर्ड तेजी हुई है. दोनों नदियों में नेपाल से आने वाले करीब 13 लाख क्यूसेक पानी में अधिकांश पानी शनिवार दोपहर तक प्रवेश कर चुका है.

56 साल बाद कोसी का रौद्र रूप बिहार में जल प्रलय मचा रहा है. नेपाल में हुई भारी बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं जिसका परिणाम है कि बिहार में कोसी नदी ने रौद्र रुप धारण कर लिया है.

कोसी नदी का जलस्तर सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. जिसके कारण बिहार राज्य के कई जिलों में बाढ़ की सी स्थिति बन गई है. कोसी के आगोश में कई गांव समाहित हो गए हैं. लोग दाने दाने को मोहताज हो गए हैं. सभी 56 फाटक खोलने से जल प्रवाह रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया है, जिससे स्थानीय निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर जाने पहुंचाया गया है. आपदा प्रबंधन एजेंसी ने 20 जिलों में बाढ़ की चेतावनी जारी की है और मौसम विभाग ने आठ जिलों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है. बिहार के लिए 72 घंटे महत्वपूर्ण है. मौसम विभाग ने पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज में बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है

कोसी नदी, जो नेपाल से निकलकर भारत में बहती है, अपने रौद्र रूप में है. स्थिति है कि पहली बार कोसी बराज के उपर पानी बह रहा है. गंभीर स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार ने हाई अलर्ट जारी किया है. प्रशासन ने दियारा क्षेत्र में रहने वाले लोगों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. कई गांव बाढ़ के पानी में डूब गए हैं. सुपौल जिले के प्रशासन ने तटबंधों के अंदर और उसके आस-पास रहने वाले लोगों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

कोसी नदी के साथ-साथ गंडक नदी भी खतरे के निशान से उपर बह रही है. गंडक नदी में 31 वर्ष बाद छह लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने की संभावना जताई गई है. इससे गोपालगंज और सारण जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और लोगों को ऊंचे स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

कोसी नदी में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए पटना में वॉर रूम बनाया गया है. वहां से दोनों नदियों के जलस्तर पर नजर रखी जाती है. इसके अलावा सूबे की अन्य नदियों पर भी निगरानी रखी जा रही है.

कोसी और गंडक नदियों के उफान पर रहने के कारण गंगा नदी के जल स्तर में भी वृद्धि होने लगी है. बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोग दहशत में हैं. प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए खाने-पीने और रहने की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं पटना से निगरानी की जा रही है तो एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम लोगों को बचाने में लगी है. बिहार में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है.

खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में जल वैज्ञानिक डॉ दिनेश मिश्र ने बिहार पर मंडराते इस सम्भावित खतरे पर एक संस्मरण साझा किया है. डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि वर्ष 1968 में कोसी नदी में अक्टूबर महीने में रिकॉर्ड 9.13 लाख क्यूसेक पानी आया था. तब बिहार में बड़े स्तर पर बाढ़ का असर देखा गया था.

डॉ दिनेश मिश्र लिखते हैं – खबर है कि कोसी में 6.81 लाख क्यूसेक पानी आने आने की आशंका है। मैं सिर्फ याद दिलाना चाहता हूँ कि कोसी में अब तक का सर्वाधिक प्रवाह 9.13 लाख क्यूसेक 5 अक्टूबर, 1968 के दिन देखा गया था जबकि कोसी तटबन्धों के बीच 9.50 क्यूसेककी प्रवाह क्षमता के लिए तटबन्ध की डिजाइन की गई थी। उस बार नदी के पश्चिमी तटबन्ध में दरभंगा जिले के जमालपुर के नीचे घोंघेपुर के बीच में पाँच जगह दरार पड़ी थी और भारी तबाही हुई थी। इस दुर्घटना की जाँच केन्द्रीय जल आयोग के एक इंजीनियर पी. एन. कुमरा ने की थी। उन्होनें इसके लिए चूहों को जिम्मेवार ठहराया था। कालक्रम में यह दरारें भर दी गई थीं।

इस बार आशंका व्यक्त की जा रही है कि कोसी तटबन्धों के बीच 28 सितम्बर दोपहर तक नदी का प्रवाह 6.81 लाख क्यूसेक अनुमानित है। 1968 के बाद का यह सर्वाधिक प्रवाह बताया जा रहा है। हम आशा करते हैं कि यह दौर बिना किसी अनिष्ट के कुशलपूर्वक बीत जायेगा। राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों और अफसरान की छुट्टियाँ रद्द करके अच्छा संकेत दिया है और और सभी सुरक्षात्मक उपाय पूरा कर लेने की तैयारी का उद्घोष भी किया है जो प्रशांशनीय है।

2008 में कुसहा में जो तटबन्ध टूटा था वह दुर्भाग्यवश 1.44 लाख क्यूसेक पर ही टूट गया था जो एक चिंताजनक घटना थी। विश्वास है कि इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा। उस घटना को याद करके नदी के जिस प्रवाह की बात की जा रही है वह भयावह लगता है। मुझे याद है कि मुख्यमंत्री ने तब सबको आश्वस्त किया था कि तटबन्ध को इतना मजबूत कर दिया गया है कि अब तीस साल तक कुछ नहीं होने वाला है। यह समय सीमा अभी पूरी नहीं हुई है और हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर इस दुर्योग से सबकी रक्षा करेगा। हम यह भी कहना चाहेंगे कि जब इतना पानी सफलता पूर्वक तटबन्धों के बीच से गुजरेगा तब उनके बीच रहने वालों की परेशानी बेतरह बढ़ेगी। उनके हितों का ध्यान सरकार जरूर रखेगी। तटबन्ध के साथ परेशानी यही है कि अगर उसे कुछ हो जाता है तो वह कंट्री साइड में उपद्रव करेगा और सुरक्षित रहेगा तो रिवर साइड में जिंदगी दुश्वार करेगा। तीसरा कोई विकल्प नहीं है। ईश्वर से प्रार्थना है कि हमारी रक्षा करे।

 

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