बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने लगभग चार लाख नियोजित शिक्षकों के लिए मुख्यमंत्री से की बड़ी मांग , मुख्यमंत्री पड़े असमंजस में

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बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने लगभग चार लाख नियोजित शिक्षकों के लिए मुख्यमंत्री से बड़ी मांग करती है बिहार के मुख्यमंत्री इस कारण पर गए असमंजस में । पूर्व सांसद की मांग से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार असमंजस में दिख रहे हैं

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह चार लाख नियोजित शिक्षकों के राज्य गर्मी के दर्जे के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से एक बड़ी मांग कर दी है उन्होंने कहा किसी भी शिक्षक का मूल्यांकन करना या उसकी समीक्षा क्षमता जचने का आधार मात्र परीक्षा नहीं हो सकता है परीक्षा लेकर नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने से शिक्षकों की गुणवत्ता की पहचान नहीं की जा सकती है नियोजित शिक्षकों की गुणवत्ता यह है की बीपीएससी द्वारा शिक्षक बहाली में लगभग 90% शिक्षकों ने भाग नहीं लिया फिर भी कुछ मामूली शिक्षकों ने चोरी छुपे इस परीक्षा में भाग लिया जिसमें उन्होंने बड़ी संख्या में परीक्षा में उत्तीर्ण कर अपनी साक्षमता और नियोजित शिक्षकों पर उठ रहे सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को करारा जवाब दिया है।

उन्होंने कहा कि आपको तो नियोजित शिक्षक सांडों का शुक्रिया अदा करना चाहिए की नियोजित शिक्षक सांडों ने अपनी शिक्षकों को इस परीक्षा में सम्मिलित नहीं होने का वचन दिया था यदि संपूर्ण नियोजित शिक्षक इस शिक्षक बहाली में भाग लेते तो आज का परिणाम काफी विपरीत होता इसका नतीजा यह होता कि बिहार के लाखों बेरोजगार युवा आज शिक्षक नहीं बन पाए और वह मुंह देखते ही रह जाते 100% सीटों पर बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक बाजी मार जाते मुझे इस बात का हंड्रेड प्रतिशत यकीन है आज आप यह नहीं बोल पाते कि हमने लाखों बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी दिया है इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूं कि जल्द से जल्द बिहार के नियोजित शिक्षकों को उसका हक देकर उसे सम्मानित करने का काम करें नियोजित शिक्षकों ने ही आपको आज गढ़वाली होने का मौका दिया है इसमें किसी तरह की कोई किंतु परंतु नहीं है

माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से राज्य के सभी कोटि के नियोजित शिक्षकों को बगैर किसी परीक्षा के अविलम्ब संविधान के अनुच्छेद 309 के अंतर्गत सरकारी सेवक का दर्जा देने की मांग की है.

साथ ही 11 जुलाई, 2023 के शांतिपूर्ण व अहिंसक धरना-प्रदर्शन में भाग लेने वाले हजार से भी अधिक प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के निलंबन एवं वेतन कटौती के आदेश को निरस्त करने की मांग की है।

शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री को कहा कि आपके द्वारा 15 अगस्त और 02 नवम्बर को नियोजित शिक्षकों को एक मामूली परीक्षा लेकर राज्यकर्मी का दर्जा देने की घोषणा करते समय आपकी दैहिक भाषा एवं अंग संचालन से नियोजित शिक्षकों के प्रति आपकी सदिच्छा व्यक्त हुई है। इससे न केवल आपने नियोजित शिक्षकों को दिलासा दिया है बल्कि राज्य के लाखों परिवारों में खुशियों का माहौल पैदा किया है। साथ ही उन्होंने बेहतर शिक्षा एवं बढ़े-लिखे बेरोजगार युवा-युवतियों को अध्यापक के रूप में नियुक्त करने का कीर्तिमान स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई भी दी है।

उनहोंने मुख्यमंत्री को कहा कि परीक्षा किसी भी व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का मूल्यांकन नहीं कर सकती है। एक अध्यापक जब अपनी कक्षाओं में प्रवेश करता है और जब उसकी उंगलियां श्यामपट्ट पर पहुँचती है तब उसकी लेखन क्षमता, भाषा की शुद्धता, अध्यापन की कला, पुस्तक के वाचन में आरोह-अवरोह और संपूर्ण कक्षा को अपनी ओर आकर्षित कर लेना, अपनी अध्यापन शैली से बच्चों के दिमाग में पढ़ाये गये विषयों को सम्प्रेषित कर देना एवं छात्र-छात्रओं में नयी समझदारी, नवाचार, कौशल आदि गुण पैदा करना उनका वास्तविक मूल्यांकन होता है। इन तमाम गुणों एवं क्षमताओं से अधिकतम 20 वर्षों से कार्यरत अनुभवी नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए दक्षता मूल्यांकन परीक्षा के बावजूद फिर से ‘सक्षमता’ की नयी शब्दावली गढ़कर परीक्षा का मनोवैज्ञानिक प्रतिकूल असर डालने की कसरत होगी।

उनहोंने मुख्यमंत्री को कहा कि हम बार-बार आपसे मार्मिक अपील करते हैं कि नियोजित शिक्षकों के लिए सबसे पहले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के अंतर्गत अधिसूचना जारी कर दी जाय और उसके बाद कक्षाओं के स्वमूल्यांकन एवं छात्र-छात्राओं के लिए भी मासिक मूल्यांकन की पुरानी व्यवस्था लागू की जाय।

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