8th Pay Commission की सिफारिश लागु होते ही बिहार के विशिष्ट शिक्षकों का लगभग 80 हजार रु जबकि BPSC शिक्षकों का वेतन 75 हजार रु, प्रधान शिक्षकों का वेतन 90 हजार व प्रधानाध्यापक का वेतन लगभग 1 लाख रु हो जाएगा,
8th Pay Commission की सिफारिश लागु होते ही बिहार के विशिष्ट शिक्षकों का लगभग 80 हजार रु जबकि BPSC शिक्षकों का वेतन 75 हजार रु, प्रधान शिक्षकों का वेतन 90 हजार व प्रधानाध्यापक का वेतन लगभग 1 लाख रु हो जाएगा,
8th Pay Commission: सैलरी बढ़ने में पूरा खेल फिटमेंट फैक्टर का, बहुत सिंपल-सा है इसका गणित
Fitment factor 8th pay commission : केंद्र सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दिए जाने के बाद सरकारी कर्मचारियों के घरों में आज दिवाली जैसा माहौल होगा. और हो भी क्यों न, क्योंकि यह आयोग लगने के बाद लक्ष्मी बरसने वाली हैं.
चूंकि अभी शुरुआती रिपोर्ट्स आईं हैं, ऐसे में कर्मचारियों को यह आइडिया नहीं है कि सैलरी कितनी बढ़ेगी. तो आपको बता दें कि सैलरी बढ़ने का पूरा खेल फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) का होता है. इसी के आधार पर वेतन में इजाफा होता है. कैसे? चलिए समझते हैं-
8th Pay Commission की सिफारिश लागु होते ही बिहार के विशिष्ट शिक्षकों का लगभग 80 हजार रु जबकि BPSC शिक्षकों का वेतन 75 हजार रु, प्रधान शिक्षकों का वेतन 90 हजार व प्रधानाध्यापक का वेतन लगभग 1 लाख रु हो जाएगा,
मोदी सरकार ने जब सातवें वेतन आयोग को अप्रूव किया था, तब कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में जबरदस्त उछाल देखने को मिला था. तब 7,000 रुपये की न्यूनतम बेसिक बढ़कर 18,000 रुपये हो गई थी. इसी के हिसाब से कुल वेतन भी बढ़ गया था. लेकिन 7,000 से 18,000 कैसे हुई, इसका आधार फिटमेंट फैक्टर था. तब फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. इस हिसाब से नये वेतन आयोग के तहत सैलरी 2.57 गुना बढ़नी थी, और इसी के हिसाब से बढ़कर 7,000 रुपये से 18,000 रुपये हुई.
उससे पहले छठे वेतन आयोग के वक्त फिटमेंट फैक्टर 1.86 था. इसका मतलब, 7वें वेतन आयोग में बेसिक सैलरी को बढ़कर 1.86 गुना (दोगुने से जरा कम) हो जाना था. इसी के हिसाब से हुआ थी. अब बात आती है 8वें वेतन आयोग की. यहां एक बात तो साफ है कि पिछला फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. तो इस बार कम से कम इतना तो रहेगा ही. लेकिन समझा जा रहा है कि इस बार नए आयोग के लगने पर यह फैक्टर भी बढ़ सकता है. बताया जा रहा है कि यह 2.57 की बजाय 2.86 हो सकता है. हालांकि कई कर्मचारी संघ फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 3.68 करने की मांग कर रहे हैं.
ऐसे में यदि नया वेतन आयोग 2.86 फिटमेंट फैक्टर के हिसाब से लगा तो न्यूनतम 18,000 रुपये बेसिक बढ़कर 51,480 रुपये हो जाएगी. और पूरे वेतन में लगभग इसी के हिसाब से वृद्धि होगी. पेंशन पा रहे लोगों के लिए भी यही नियम लागू होगा और उनकी 9,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन बढ़कर 25,740 रुपये तक पहुंच जाएगी. यदि 3.68 को स्वीकार कर लिया जाता है तो यह वृद्धि बहुत अधिक रहने वाली है.
कब लागू होगा 8वां वेतन आयोग?
माना जा रहा है कि 8वां वेतन आयोग जनवरी 2026 से लागू हो सकता है, क्योंकि जनवरी में ही 7वें वेतन आयोग की समय-सीमा समाप्त हो जाएगी. इससे पहले सभी हितधारकों और सरकारों से सलाह-मशविरा कर लिया जाएगा. गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि सरकार जल्द ही आठवें वेतन आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों के नाम का भी ऐलान भी करने वाली है, ताकि सभी से राय-मशविरा करने के लिए पर्याप्त समय मिले.
फिटमेंट फैक्टर क्या होता है? कैसे तय होता है?
फिटमेंट फैक्टर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में सुधार करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक फॉर्मूला है. यह कर्मचारी की मूल सैलरी को एक निश्चित गुणक (Multiplier) से बढ़ाकर नए वेतनमान में समायोजित करता है. इसे हर वेतन आयोग (Pay Commission) की सिफारिशों के आधार पर तय किया जाता है और समय-समय पर इसमें बदलाव किए जाते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना और महंगाई के बढ़ते स्तर के साथ उनकी क्रय शक्ति को बनाए रखना है.
फिटमेंट फैक्टर को तय करने में कई कारक भूमिका निभाते हैं. इसे तय करने में सरकार की आर्थिक स्थिति, महंगाई दर और कर्मचारियों की जरूरतों को ध्यान में रखा जाता है. सबसे पहले, वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान और भत्तों की समीक्षा करता है और एक गुणक निर्धारित करता है. उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग ने फिटमेंट फैक्टर को 2.57 तय किया था. इसका मतलब है कि कर्मचारी का नया वेतन उसकी मूल सैलरी को 2.57 से गुणा करके तय किया गया. यदि किसी कर्मचारी की मूल सैलरी 15,000 रुपये है, तो 2.57 के फिटमेंट फैक्टर से उसे नया वेतन 38,550 रुपये मिलेगा. ध्यान रहे यह वेतन का बेसिक है. यह नया वेतन महंगाई भत्ते (DA) और अन्य भत्तों को भी ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है.
फिटमेंट फैक्टर का सीधा प्रभाव कर्मचारियों की ग्रॉस सैलरी और पेंशन पर पड़ता है. जब फिटमेंट फैक्टर बढ़ता है, तो न केवल वेतन में वृद्धि होती है, बल्कि पेंशनभोगियों को भी इसका लाभ मिलता है. इसके अलावा, यह महंगाई के बढ़ते स्तर का संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है. यही वजह है कि कर्मचारी संघ (Employee Unions) समय-समय पर फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाने की मांग करते हैं.