बिहार में नियोजित शिक्षकों के लगातार कठिन परिश्रम से स्कूली शिक्षा में ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या घटी
बिहार में नियोजित शिक्षकों के लगातार कठिन परिश्रम से स्कूली शिक्षा में ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या घटी
बिहार में पहली कक्षा में नामांकित होने वाले शपथ प्रतिशत बच्चे अब पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं
पहली कक्षा से पांचवी कक्षा में ड्रॉप आउट यानी बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चे सुनने पर पहुंच गए हैं इसके साथ ही छठी कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक में ड्रॉप आउट में और अप्रत्याशित रूप से भारी कमी आई है उच्च प्राथमिक स्तर पर ड्रॉप आउट में 39.4 और माध्यमिक स्तर पर 40% की गिरावट आई है
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2023 24 रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015-16 में प्राथमिक स्तर पर ड्रॉप आउट का डर 25% था उनमें 24.02% लड़कियां और 25.6% लड़के थे
लेकिन वर्ष 2021-22 में ही प्राथमिक स्तर पर ड्रॉप आउट का प्रतिशत शून्य पर पहुंच गया है वर्ष 2021-22 की तरह भी वर्ष 2022 में भी यह प्रतिशत सुनने पर रहा
इसमें इससे इधर पांचवी कक्षा के बाद उच्च प्राथमिक स्तर पर वर्ष 2015-16 में ड्रॉप आउट का प्रतिशत 42.5 का उनमें 36.3 प्रतिशत लड़कियां और 450% लड़के थे वर्ष 2022-23 में उच्च प्राथमिक कक्षा छठी से आठवीं कक्षा स्तर पर ड्रॉप आउट का प्रतिशत घर का 2.77% पर आ गया है इनमें दो दशमलव 13% लड़कियां एवं 3.39 प्रतिशत लड़के हैं
दूसरी और आठवीं कक्षा के बाद माध्यमिक स्टार की बात करें तो वर्ष 2015-16 में ड्रॉप आउट का प्रतिशत 57.7 था उसमें 52.5% लड़कियां और एक सदस्य पांच प्रतिशत लड़के थे लेकिन वर्ष 2022-23 में माध्यमिक स्तर पर ग्रंथ और का प्रतिशत घटकर 17.64% पर आ गया है इनमें 16.30% लड़कियां एवं 18.96% लड़के हैं दरअसल ड्रॉप आउट डर किसी खास स्टार की शिक्षा पूरी करने में असफल रहने वाले या अगले स्तर के लिए नामांकन नहीं करने वाले विद्यार्थियों का अनुपात होता है जो शैक्षिक प्रणाली में कमजोरी और अंतराल को रेखांकित करता है राज्य में प्राथमिक उच्च प्राथमिक और उच्च माध्यमिक स्टारों के लिए अलग-अलग ग्रुप आउट डरे रही है यह दर गरीबी माता-पिता का निम्न शैक्षिक स्तर कमजोर पारिवारिक ढांचा सहोदर की शिक्षा का पैटर्न और विद्यालय पूर्व के अनुभवों की कमी जैसे अनेक कारकों से संबंधित होती है साथ ही अनेक प्रकार के और ऊंची करवातावरण कमजोर समझ अनुपस्थित रहने की प्रवृत्ति शिक्षकों की मनोवृत्ति और असफल होना या एक ही कक्षा में रहना जैसे अपने कारकों के चलते भी बच्चे पढ़ाई छोड़ सकते हैं
बिहार में विगत वर्षों में ड्रॉप आउट द्रव में काफी कमी आई है किसी का नतीजा है कि प्राथमिक स्तर पर ड्रॉप आउटडोर घटकर सुनने हुई है इसका मैन यह हुआ कि अब सारे विद्यार्थी प्राथमिक शिक्षा पूरी कर रहे हैं इस ड्रॉप आउट को शून्य करने में बिहार के नियोजित शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है