हाई स्कूलों में पड़ी राशि से पड़ोस के प्राथमिक विद्यालयों का होगा विकास
हाई स्कूलों में पड़ी राशि से पड़ोस के प्राथमिक विद्यालयों का होगा विकास
राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में परी राशि का उपयोग उसके नजदीक के प्रारंभिक विद्यालयों के विकास कार्य में किया जाएगा इससे संबंधित निर्देश में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पाठक द्वारा जिला अधिकारियों को दिए गए हैं निर्देश में जिलाधिकारी से कहा गया है कि माध्यमिक विद्यालयों में 1090 करोड़ की राशि पड़ी हुई है जबकि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में फर्नीचर की कमी के कारण बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर हैं ।
श्री पाठक ने कहा है कि निरीक्षण के दौरान देखा गया है कि कई माध्यमिक स्कूलों में जरूर से ज्यादा फर्नीचर है यहां उनके छात्र कोर्स में काफी राशि पड़ी हुई है अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद भी उनके पास 20 से 30 लाख 83 अभी पड़ी हुई है इसके ठीक विपरीत इन्हीं माध्यमिक विद्यालयों के अगल-बगल के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों की स्थिति ठीक नहीं है शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं है बच्चे आदि भी फर्श पर बैठते हैं ।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि जुलाई 2023 में हमारे माध्यमिक विद्यालयों में 1100 करोड़ थे और सब विभाग में सभी को प्रोत्साहित किया था कि वह इस राशि का उपयोग अपने विद्यालय में जिर्णोद्धार मोरामती शौचालय फर्नीचर लैब आदि में करें ।
माध्यमिक विद्यालयों ने यह काम करना शुरू भी कर दिया है पिछले एक माह में 24 करोड़ की राशि माध्यमिक विद्यालयों ने अपने छात्र कोष और विकास को से खर्च करते हुए अपनी स्थिति सुधरी है समानांतर रूप से उनकी आय भी होती रही है।
इसलिए अभी भी 1090 करोड़ 83 छात्र कोष और विकास कोर्स में पड़ी है वही विद्यालयों में शौचालय की खराब स्थिति के कारण छात्र छात्राओं को काफी परेशानी होती है छात्रों के लिए तो यह एक बहुत बड़ी समस्या है और भी इसी कारण विद्यालय नहीं आ पाती है क्योंकि शौचालय सक्रिय नहीं है आगामी सर्दियों में प्राथमिक और मध्य विद्यालय का कोई भी बच्चा फर्श पर ना बैठे या फिर करें माध्यमिक विद्यालयों की राशि से पर्याप्त फर्नीचर नहीं खरीदे जा सकते हैं तो कम से कम दरिया खरीद कर इन विद्यालयों को उपलब्ध करा दिया जाए ताकि सर्दी में कई कोई छात्र ठंडे फर्श पर ना बैठे
जिला अधिकारियों को लिखे पत्र में या स्पष्ट कहा गया है की नई शिक्षा नीति 2020 इस बात को न सिर्फ अनुमति अनुमति देता है बल्कि हमें प्रोत्साहित भी करती है कि हम विद्यालयों को समूह के रूप में देखे उसे समूह के केंद्र में एक विद्यालय होता है और उसके आसपास के प्रारंभिक विद्यालय उसके अंग होते हैं श्री पाठक ने जिलाधिकारी को कहा कि स्कूल समूह की धारणा से प्रेरणा लेते हुए उक्त निर्देश का पालन सुनिश्चित कारण