दो महीना में 2 लाख शिक्षकों की नीतीश सरकार ने नई नियमित नियुक्ति , अब अगले 2 महीने में लाख नियोजित शिक्षकों की होगी नियमित नियुक्ति , 

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दो महीना में 2 लाख शिक्षकों की नीतीश सरकार ने नई नियमित नियुक्ति , अब अगले 2 महीने में लाख नियोजित शिक्षकों की होगी नियमित नियुक्ति ,

 

बिहार में पिछले दो महीने के अंदर शिक्षकों की नियुक्ति ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। पिछले दो महीने में सरकार ने करीब दो लाख शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया है।

इतनी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति के बाद अब सरकारी स्कूलों के दिन बहुरने की आस जगी है।

बिहार की शिक्षा व्यवस्था की लचर स्थिति किसी से छिपी नहीं है। हालांकि पिछले कुछ महीनों से सरकार का ध्यान शिक्षा व्यवस्था की ओर गया है। सरकार ने जहां बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति की है, वहीं स्कूलों में बुनियादी ढांचा बेहतर करने को लेकर भी कदम बढ़ाए हैं।

सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित शिक्षक नियुक्ति परीक्षा के पहले चरण में उत्तीर्ण एक लाख से अधिक अभ्यर्थियों के बीच पिछले साल दो नवंबर को शिक्षक नियुक्ति बांटने का इतिहास रचा गया।

इसी दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जल्द ही दूसरे चरण की परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया। इसके बाद 13 जनवरी को 94 हजार से अधिक शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया।

बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से दूसरे चरण के 94 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति के बाद राज्य में विद्यार्थी शिक्षक अनुपात में जबरदस्त सुधार हुआ है।

बताया जाता है कि प्राथमिक विद्यालय में अब यह अनुपात 35 छात्रों पर 1 शिक्षक हो गया है। यह राष्ट्रीय विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात के बराबर माना जा रहा है। पहले चरण की विद्यालय अध्यापक की नियुक्ति के बाद यह अनुपात 38 छात्रों पर 1 शिक्षक था। दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति से पहले यह अनुपात 45 छात्र पर एक शिक्षक का था, जबकि 2005 में एनडीए की सरकार बनने के बाद यह अनुपात 65 छात्रों पर 1 शिक्षक का था।

इसी तरह माध्यमिक स्कूलों में भी विद्यार्थी और शिक्षकों के अनुपात में सुधार हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें तो दूसरे चरण की नियुक्ति के बाद 36 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक हो गया है। पहले यह अनुपात 88 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का था।

बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से दूसरे चरण के 94 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति के बाद राज्य में विद्यार्थी शिक्षक अनुपात में जबरदस्त सुधार हुआ है।

बताया जाता है कि प्राथमिक विद्यालय में अब यह अनुपात 35 छात्रों पर 1 शिक्षक हो गया है। यह राष्ट्रीय विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात के बराबर माना जा रहा है। पहले चरण की विद्यालय अध्यापक की नियुक्ति के बाद यह अनुपात 38 छात्रों पर 1 शिक्षक था। दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति से पहले यह अनुपात 45 छात्र पर एक शिक्षक का था, जबकि 2005 में एनडीए की सरकार बनने के बाद यह अनुपात 65 छात्रों पर 1 शिक्षक का था।

इसी तरह माध्यमिक स्कूलों में भी विद्यार्थी और शिक्षकों के अनुपात में सुधार हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें तो दूसरे चरण की नियुक्ति के बाद 36 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक हो गया है। पहले यह अनुपात 88 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का था।

सबसे बड़ी बात है कि शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित अन्य प्रदेशों के अभ्यर्थियों ने भाग लिया और सफलता भी पाई है। इसे लेकर प्रदेश में राजनीति भी गर्म हुई।

इधर, सरकार ने स्कूलों के आधारभूत संरचना के सुधार पर भी नजर डाली है। शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में बुनियादी संरचना की मजबूती के लिए चालू वित्तीय वर्ष में करीब 900 करोड़ रुपये आवंटित कर दिये हैं।

यह वार्षिक बजट के प्रावधान से अलग है, इसमें 200 करोड़ से अधिक की राशि केवल बेंच-डेस्क खरीदने के लिए निर्धारित की गयी है।

अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 में एक हजार करोड़ से अधिक राशि खर्च करने की योजना है। विभाग की मंशा है कि सरकारी पाठशालाओं में एक भी बच्चा फर्श पर न बैठे।

प्रदेश के लोग भी मानते हैं कि सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचा में सुधार हो और शिक्षकों की उपस्थिति बनी रहे तो कोई दो मत नहीं कि प्रदेश में शैक्षणिक माहौल में काफी सुधार होगा।

इधर, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी कहते हैं बिहार में काफी काम हो रहा है। दूसरे प्रदेशों के बेरोजगार भी यहां नौकरी करने आ रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार लगातार लोगों को नौकरी देने का काम कर रही है।

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