विजिलेंस की जाँच दो शिक्षकों के बीएड का सर्टिफिकेट निकला फेक , विजिलेंस ने दर्ज की FIR , 15 वर्षो से सरकारी स्कूलों में थे पदस्थापित

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Bihar Fake Teacher :-विजिलेंस की जाँच दो शिक्षकों के बीएड का सर्टिफिकेट निकला फेक , विजिलेंस ने दर्ज की FIR , 15 वर्षो से सरकारी स्कूलों में थे पदस्थापित

Bihar Fake Teacher बिहार में फर्जी शिक्षकों का सिलसिला नेता नाम नहीं दे रहा है बिहार के भोजपुर जिला में 15 वर्षों से प्रहार है दो शिक्षकों का B.Ed का सर्टिफिकेट जारी निकला है मामले की सूचना मिलते हैं शिक्षा विभाग एक्शन में आ गई है विजिलेंस ने फेक सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे शिक्षक पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे दिया है बहुत जल्द विजिलेंस की टीम हरगी शिक्षक को गिरफ्तार कर जेल भेजेगा

भोजपुर जिले में विगत 15 वर्षों से फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षण कार्य कर रहे दो शिक्षकों के मामले का निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने भंडाफोड़ किया है।

बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के लाख प्रयास के बाद भी शिक्षकों में सरकार का डर व्याप्त नहीं हो रहा है शिक्षक हरजी सर्टिफिकेट लेकर बिहार में शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं इनको पकड़ने में बिहार सरकार को वर्षों लग जाता है ऐसे में बिहार सरकार में ऐसे शिक्षकों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है ताकि भविष्य में वही भी फर्जी शिक्षक पर भी सर्टिफिकेट पर नौकरी करने के लिए सौ बार सोच

मामले का खुलासा होने के बाद दोनों के अलावा कई अन्य अज्ञात लोगों पर संबंधित थाने में सोमवार को प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, तरारी प्रखंड क्षेत्र के मध्य विद्यालय राजपुर के प्रखंड नियोजित शिक्षक अभिनव राज बीएड का फर्जी अंक पत्र उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला स्थित वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से लाए थे।

उसी के आधार पर वह वर्ष 2008-10 से अब तक नौकरी कर रहे थे। जांच में इसका खुलासा हुआ है। अभिनव राज मूल रूप से गांव धोकरहा, थाना इमादपुर पोस्ट बिहटा के निवासी हैं।

फर्जी शिक्षक का दूसरा मामला

दूसरी तरफ, जगदीशपुर थाना क्षेत्र के कौरा पंचायत स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय मथुरापुर के शिक्षक संजय कुमार पर प्राथमिक दर्ज कराई गई है। ये पंचायत शिक्षक के रूप में वर्ष 2003 से नियोजित है। नौकरी के दौरान इन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का फर्जी मैट्रिक प्रमाण पत्र देकर नौकरी कर रहे थे।

पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों के कागजातों की जांच के दौरान इसका खुलासा हुआ है। इसके बाद निगरानी के दरोगा सह केस के आईओ अरुण पासवान के द्वारा संबंधित दोनों थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

दारोगा ने इस मामले में फर्जी ढंग से प्रमाण पत्र बंदोबस्त करने को ले कर दोनों शिक्षको समेत फर्जीवाड़े में सहयोग करने वाले कई अज्ञात लोगों पर भी प्राथमिकी दर्ज कराई है। इस प्राथमिकी के बाद फर्जी ढंग से कार्य कर रहे सैकड़ों शिक्षकों में हड़कंप मच गया है।

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